Wednesday, September 26, 2012

Dard-e-Mohabbat


                  मोहब्बत में दर्द मिलता है ये तो सुना था हमने पहले भी, सोचा थोडा दर्द तो हम भी सह लेंगें और फिर जब मोहब्बत हो गयी तब पता चला की दर्द-ए-मोहब्बत क्या होती है। गम किसे कहते है, जुदाई, उनकी याद, किन अहसासों का नाम है मोहब्बत करा तो पता चला। इंसान होने की और मोहब्बत करने की और फिर कुछ न कर पाने मजबूरियां क्या होती है ये इश्क करके पता चलता है। हर आशिक मजबूर है किसी न किसी तरह से। 

                  "इश्क की राह पर गर चल रहे हो तो सब्र को साथ रखना , कई बार वो आते तो है। 
                                 मगर उस सुबह को जो होती है आखिरी रात के साथ।"

इसी उम्मीद में कई आशिक अब भी जिन्दा है। ये रात और गुजार देते है रो रो के, शायद सुबह की किरने उन्हें साथ ले आयें। और कई तो रात के उस अँधेरे में दफन हो चुके है। शुबह तक कौन जी पायेगा, तेरे बिन एक लम्हा भी नहीं कट रहा। ऐ जिन्दगी हमें इतना सौख नहीं है जीने का, बस उनके आने की उम्मीद अभी भी बाकी है। मगर दोस्तों मोहब्बत जिन्दगी का नाम है, इसे मौत के नाम मत करो। जिसकी इक आह को तुम सह नहीं सकते, तुम्हारे मरने के बाद उसका क्या होगा। 

              याद तो उन्हें भी आती होगी मेरी या सिर्फ मैं ही तड़प रहा हूँ। जितना वो मेरे गम को समझते है उतना मै भी उनके दर्द को महसूस करता हूँ। दर्द उन्हें भी है बिछड़ने का वर्ना आखें उनकी नम न होती। मेरी भी यही मर्जी थी और उनकी भी की साथ न छुटे फिर ऐसा क्या हुआ कि वो मुझसे नफरत करने लगा।

              दर्द के इस मौसम में कोई भी कही भी नहीं है ऐसे में हर वक्त  एक चुभन सी होती है दिल में जब जब ये महसूस होता है कि तू मुझसे नफरत करता है दिल करता कि जिस शख्स ने तुझे दुःख पहुचाया है उसको अपने इन हाथो से दर्द दूँ। पर जो पहले से ही तड़प रहा हो उसे कैसा दर्द दें। जिसे तुम्हारी जुदाई ने ग़मगीन बनाया हो उसे कौनसा गम दें।  तू खुद बता मेरी सजा क्या है।

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